नाटक: "जल है तो जीवन है"
पात्र
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आफरीन – एक जिज्ञासु बच्ची
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ज्योति – उसकी सहेली, जानकारी देने वाली
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पानी की बूंद – (क्लास का कोई बच्चा बूंद का वेश)
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नदी – (नीला दुपट्टा पहनकर कोई बच्चा)
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पेड़ – (हरा कपड़ा/पत्ता बना कर)
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किसान – (लाठी या टोपी पहनकर)
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वृत्तांतकर्ता (Narrator) – जो कहानी को आगे बढ़ाता है
दृश्य 1: बारिश की खिड़की
[ध्वनि प्रभाव: बारिश की आवाज़]
आफरीन (खिड़की से बाहर देखते हुए):
“ज्योति! ये बारिश का पानी कहाँ से आता है और फिर कहाँ चला जाता है?”
ज्योति:
“आओ! आज हम पानी की यात्रा देखें।”
दृश्य 2: पानी का परिचय
[पानी की बूंद मंच पर कूदते हुए आती है]
पानी की बूंद:
“नमस्ते बच्चों! मैं हूँ पानी। मैं अलग-अलग रूपों में मिलता हूँ –
❄️ कभी बर्फ़,
💧 कभी बारिश,
☁️ और कभी भाप बनकर आसमान में।”
आफरीन (चौंककर):
“वाह! तो तुम तीन-तीन रूपों में बदल सकते हो?”
पानी की बूंद (मुस्कराकर):
“हाँ! यही तो मेरा चमत्कार है।”
दृश्य 3: पानी का चक्र
[Narrator समझाता है, और पृष्ठभूमि में बच्चे हाथों से सूर्य और बादल का रूप दिखाते हैं]
Narrator:
“सूरज की गर्मी से पानी वाष्प बनता है, बादलों में जाता है, फिर बारिश बनकर वापस धरती पर आता है। इसे ही जल चक्र कहते हैं।”
(बादल का वेश पहने बच्चा बारिश की बूंदें गिराता है, पेड़ और नदी खुश होकर तालियाँ बजाते हैं।)
दृश्य 4: नदी और किसान
[नदी का पात्र मंच पर नीले दुपट्टे के साथ आता है]
नदी:
“मैं पहाड़ों से निकलकर मैदानों में बहती हूँ। खेतों को पानी देती हूँ, प्यास बुझाती हूँ।”
किसान (हाथ जोड़कर):
“धन्यवाद नदी माता! तुम्हारे बिना हमारी फसलें सूख जाएँगी।”
दृश्य 5: संदेश – जल संरक्षण
आफरीन (सोचते हुए):
“अगर कभी दो साल बारिश न हो तो क्या होगा?”
पेड़:
“हम सूख जाएँगे।”
किसान:
“फसलें नष्ट हो जाएँगी।”
पानी की बूंद (गंभीर आवाज़ में):
“हाँ बच्चों! अगर तुम पानी बर्बाद करोगे तो जीवन संकट में पड़ जाएगा।”
ज्योति:
“तो हमें पानी बचाना होगा –
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नल खुला न छोड़ें,
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वर्षा जल संचयन करें,
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पेड़-पौधे लगाएँ।”
दृश्य 6: समापन
सभी पात्र मिलकर मंच पर आते हैं और एक साथ कहते हैं:
“जल है तो जीवन है!
पानी बचाओ – जीवन बचाओ!”
[पृष्ठभूमि संगीत: तालियाँ + नदी की बहने की ध्वनि]
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